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बाबू ओंकार सिंह सेवा ट्रस्ट — गढ़ गंगा मेला सेवा शिविर
बाबू ओंकार सिंह सेवा ट्रस्ट द्वारा वर्ष 2000 से निरंतर रूप से गढ़ गंगा मेले के अवसर पर सेवा शिविर का आयोजन किया जा रहा है। यह शिविर ट्रस्ट की सामाजिक प्रतिबद्धता और जनसेवा के प्रति समर्पण का प्रतीक है।
शिविर का संचालन श्री बिट्टू त्यागी (सिखेड़ा), राय साहब के नेतृत्व में किया जाता है। उनके मार्गदर्शन में ट्रस्ट के सदस्य एवं स्वयंसेवक मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को आवश्यक सेवाएँ प्रदान करते हैं
ट्रस्ट का उद्देश्य गढ़ गंगा मेले में आने वाले प्रत्येक श्रद्धालु को सुविधाजनक एवं सुरक्षित वातावरण प्रदान करना है।
पिछले दो दशकों से अधिक समय से यह शिविर निरंतर आयोजित किया जा रहा है, जो ट्रस्ट की सेवा भावना और सामाजिक उत्तरदायित्व का उदाहरण प्रस्तुत करता
बाबू जी की घनिष्टता एन.डी. तिवारी, सी.बी. गुप्ता, मुख्यमंत्री उ.प्र. सरकार, केंद्रीय उद्योग मंत्री बी.पी. मौर्या, राज्य सभा संसद भारत सरकार श्री वीर सैन माननीय विधायक हापुड़, भूप सिंह केन आदि व्यक्तियों से रही ।
प्रधान पद पर रहते हुए सन् 1975 में उन्होंने अपने कार्यकाल में ग्राम सिखेड़ा में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, इंटर कॉलेज, ट्रामा सेंटर गरीबी आवास अंबेडकर कॉलोनी की भूमि आवंटित कराई, ग्रामवासियों के लिए शमसान घाट का निर्माण कराया। 39 वर्ष की आयु में सामाजिक, राजनैतिक एवं व्यवसायिक शिखर पर पहुचने के बाद दिनांक 28 जुलाई 1978 को पंचतत्व में विलीन हो गये ।
बाबूजी जी श्री ओंकार सिंह त्यागी प्रधान जी क्रेशर वालो की स्मृति में उनके भतीजे बिट्टू त्यागी सिखेड़ा (राय साहब) ने उन्ही के नाम पर बाबू ओंकार सिंह, सेवा ट्रस्ट की स्थापना की। जिसके द्वारा सन् 2000 से प्रत्येक वर्ष गढ़ गंगा मेले में शिविर का आयोजन किया जा रहा है। जिसमे हरियाणा, राजस्थान, उत्तराखंड और दिल्ली उ.प्र. व बहरी देश से श्रद्धालु आते है, जिनकी बाबू ओंकार सिंह सेवा ट्रस्ट की तरफ़ से निशुल्क ठहरने व भोजन की समस्त सुसोजित सेवाएं प्रदान की जाती है




बाबू ओंकार सिंह सेवा ट्रस्ट
पता: ग्राम सिखेड़ा, पोस्ट–सिंभावली,जनपद–हापुड़
जीवन परिचय
बाबू जी ओंकार सिंह त्यागी (क्रेसर वाले)
बाबू जी ओंकार सिंह त्यागी का जन्म 01 जनवरी 1939 को ग्राम सिखेड़ा, मुरादाबाद (पोस्ट सिंभावली, जनपद–हापुड़) के एक किसान परिवार में हुआ।
वे स्वर्गीय श्री बलजीत सिंह त्यागी (मुंमी जी) एवं स्वर्गीया श्रीमती भगवती देवी के सुपुत्र थे। बचपन से ही मेहनती, दूरदर्शी और समाजसेवी स्वभाव के कारण उन्होंने जीवन के हर क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया।
सारांश
बाबू जी ओंकार सिंह त्यागी का जीवन संघर्ष, परिश्रम और समाजसेवा की प्रेरणादायक गाथा है। उन्होंने शिक्षा, उद्योग और राजनीति—तीनों क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान देकर आने वाली पीढ़ियों के लिए एक आदर्श स्थापित किया।
